करदाता के आपूर्तिकर्ता ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया - लेकिन करदाताओं को आईटीसी से वंचित करना उचित नहीं - मा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय- करदाताओं के लिए बड़ी राहत

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             मा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मे. आर. टी. इन्फोटेक बनाम अपर आयुक्त ग्रेड 2 एवं 2 अन्य (रिट संख्या 1330/2022)  इस  केसमें 30.05. 2025 को आपूर्तिकर्ता की चूक के कारण एक  कर दाता को आईटीसी देने से इनकार करने के महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेते हुए कहा कि भले ही जीएसटीआर-2ए मेल नहीं खाता हो लेकिन  बैंकिंग के माध्यम से किया गया भुगतान  और इन्वोइसेस तथ्यात्मक हो तो , आईटीसी देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
      जीएसटी विभाग ने दावा किए गए 28.52 लाख रुपये के आई.टी.सी. को अस्वीकार कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता ने आर.टी.जी.एस. के माध्यम से आपूर्तिकर्ता को जी.एस.टी. राशि का भुगतान किया था। विभाग ने आईटीसी देने से इनकार कर दिया क्योंकि यह जीएसटीआर-2ए में नहीं दिखाई दिया और आपूर्तिकर्ता ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया। परिणामस्वरूप, धारा 73 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 10% जुर्माना और ब्याज के साथ आईटीसी को वापस लेने की मांग करने वाला मूल आदेश जारी किया गया। अपीलीय प्राधिकरण ने भी मूल आदेश को बरकरार रखा।
     याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि भुगतान वैध चालान पर आरटीजीएस के माध्यम से किया गया था, इसलिए आपूर्तिकर्ता विक्रेता की चूक से खरीदार के आईटीसी को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
     इस केस में मा. न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने अपने दायित्वों को पूरा किया है और बैंकिंग चैनलों के माध्यम से भुगतान किया है। साथ ही, कर रसीदें वास्तविक और निर्विवाद थीं। चूंकि धारा 16(2)(ए) और (बी) के तहत शर्तें अर्थात माल/ सेवाओं की प्राप्ति, कर रसीदों की उपलब्धता और आपूर्तिकर्ता को भुगतान साबित हो गए थे  न्यायालय ने माना कि खरीदार अपने आपूर्तिकर्ता विक्रेता को जीएसटीआर-1 दाखिल करने या कर का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। साथ ही, खरीदार विक्रेता को सरकार को रिटर्न दाखिल करने और जमा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।     सनक्राफ्ट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (मा. सर्वोच्च न्यायालय) और डी.वाई. बेथेल एंटरप्राइजेज (मा. मद्रास उच्च न्यायालय) में, निर्णय में कहा गया कि आपूर्तिकर्ता द्वारा कर का भुगतान न करने के लिए खरीदार को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता, बैंकिंग रसीद के माध्यम से किया गया भुगतान वैध होने के कारण आईटीसी से इनकार नहीं किया जा सकता।
     मा. न्यायालय ने पाया कि मूल निर्णय लेने वाले प्राधिकारी  ने दोनों पक्षों के कानूनी दायित्वों का आकलन नहीं किया, आपूर्तिकर्ता की गलती की उचित जांच नहीं की गई और कोई तर्कपूर्ण आदेश पारित नहीं किया गया। इसलिए, इसने आदेश को रद्द कर दिया और मामले को निर्धारण के लिए वापस भेज दिया।