सोलापुर के बाद अब नागपूर में बड़ा जीएसटी घोटाला आया सामने - 86 फर्मों के माध्यम से 800 करोड़ रुपये का फर्जी बिल रॅकेट

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    सोलापुर के बाद अब महाराष्ट्र के नागपुर से भी बड़ा जीएसटी घोटाला सामने आया है। जांच में पता चला है कि फर्जी जीएसटी बिलिंग रैकेट के मास्टरमाइंड साहू बंधु ने 86 फर्जी फर्मों के जरिए सरकार को 800 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। पुलिस ने जब साहू बंधु के दफ्तर और घर की तलाशी ली तो वहां से 17 फर्जी कंपनियों के रबर स्टैम्प बरामद हुए। इस मामले में तीन और लोग भी फरार हैं।
     पुलिस ने संतोष उर्फ बंटी रामपाल साहू, जयेश रामपाल साहू, बृजकिशोर रामनिवास मनियार, ऋषि हितेश लखानी और आनंद विनोद हरदे को गिरफ्तार किया है।
    प्रारंभिक जांच से पता चला है कि साहू बंधुओं द्वारा बनाई गई कुछ प्रमुख फर्जी कंपनियों में विविका एंटरप्राइजेज, कबीर स्टील ट्रेडर्स, साक्षी फूड सप्लायर्स और शारदा ट्रेडर्स शामिल हैं। पुलिस को पता चला है कि साहू बंधुओं के रिश्तेदारों के नाम पर विभिन्न बैंकों में खाते खोलकर करोड़ों रुपए का लेनदेन किया गया। इससे पता चलता है कि साहू बंधुओं के परिवार के सदस्य भी इस रैकेट में शामिल हैं। बेनामी संपत्तियों के अलावा साहू बंधुओं ने एफडी और म्यूचुअल फंड में भी करोड़ों रुपये निवेश कर रखे हैं।
    फर्जी जीएसटी बिलिंग रैकेट के केंद्र में रहे साहू बंधुओं के साथ इसमें शामिल बृजकिशोर मनिहार ने खुद को जीएसटी टैक्स कंसल्टेंट बताया था। ऐसा माना जाता है कि उन्हें जीएसटी प्रणाली का व्यापक ज्ञान और समझ है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मनिहार उन ग्राहकों से संपर्क करता था जो फर्जी बिल खरीदना चाहते थे,वह ग्राहकों से संपर्क करता और उन्हें लेनदेन के लिए अपने करीबी सहयोगी अंशुल मिश्रा के पास भेजता।
    इस रैकेट में शामिल फर्जी कंपनियां संदिग्ध व्यक्तियों के पहचान पत्रों का उपयोग करके पंजीकृत की गई थीं। कई व्यक्तियों, मुख्यतः दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के लोगों के दस्तावेजों का पंजीकरण के लिए दुरुपयोग किया गया। लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। वे कानूनी कार्रवाई के डर से भी छिप गए।
सूत्रों का अनुमान है कि इस घोटाले में सैकड़ों करोड़ रुपये की कर चोरी और धन शोधन हुआ होगा। इन फर्जी कंपनियों की व्यापक ऑडिट से और अधिक वित्तीय अनियमितताएं उजागर होने की संभावना है। इस बीच, अपराध शाखा फरार आरोपियों का पता लगाने के प्रयास तेज कर रही है और जांच का दायरा बढ़ाने के लिए जीएसटी विभाग और वित्तीय खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।