मा. मुंबई उच्च न्यायालय ने लीजहोल्ड अधिकारों के हस्तांतरण पर जीएसटी मांग आदेश को रद्द कर दिया –मा. गुजरात न्यायालय के फैसले के बाद अब मा. मुंबई उच्च न्यायालय का निर्णय

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लीजहोल्ड अधिकारों के हस्तांतरण पर जीएसटी मांग आदेश को  मा. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए,  मा. गुजरात उच्च न्यायालय के हाल ही के आदेश के अनुसार  नया आदेश जारी करनेके निर्देश मूल न्याय निर्णयन अधिकारी को दिए ।
    लीजहोल्ड अधिकारों के हस्तांतरण के कराधान पर माल और सेवा कर (जीएसटी) मांग आदेश मा. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया और मा. गुजरात उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के मद्देनजर न्याय निर्णयन प्राधिकारी को नया आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया है। इस मामले में, पट्टादाता मे.पैनेसिया बायोटेक ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) से नवी मुंबई के महापे क्षेत्र में जमीन लीज पर ली थी और बाद में जमीन और उस पर बने भवन को तीसरे पक्ष को हस्तांतरित कर दिया था।
   याचिकाकर्ता मे.पैनेसिया बायोटेक ने दावा किया कि यह लेनदेन जीएसटी कानून की अनुसूची III के अंतर्गत आता है। भूमि और भवनों की बिक्री को जीएसटी कानून  की  उस अनुसूची III कि  संख्या 5 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है और इसलिए इसे जीएसटी से छूट दी गई है।  याचिकाकर्ता द्वारा उत्तर में उठाए गए इन प्रावधानों पर निर्णय लेने वाले प्राधिकारियों द्वारा आदेश में विचार नहीं किया गया।  
 अब निर्णायन प्राधिकारियों को याचिकाकर्ता के तर्कों का समाधान करना होगा तथा विशेष रूप से इस मामले पर गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय पर विचार करते हुए, एक विस्तृत तर्कपूर्ण आदेश जारी करना होगा जो जीएसटी कानूनी ढांचे के अनुरूप हो । 
         याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष दावा दिया कि भूमि की बिक्री की तरह ये लेनदेन भी जीएसटी के दायरे से बाहर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब पट्टा-अधिकार किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित कर दिया जाता है, तो पट्टेकर्ता का भूमि पर से सारा नियंत्रण समाप्त हो जाता है। परिणामस्वरूप, भूमि से उत्पन्न होने वाले हित वास्तव में भूमि की बिक्री के समान ही लेन-देन हैं और उनके साथ इसी प्रकार व्यवहार किया जाना चाहिए। मा. गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक निर्णय में गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) द्वारा विकसित औद्योगिक भूखंडों के लिए पट्टा-अधिकार को जीएसटी से बाहर रखा है।
क्या औद्योगिक विकास निगम भूखंडों के लिए पट्टा-अधिकारों का हस्तांतरण जीएसटी कानून के तहत 'आपूर्ति' के रूप में योग्य है या नहीं, इस मुद्दे का उत्तर इस निर्णय ने दे दिया है और अदालत ने फैसला सुनाया कि ऐसे लेनदेन अचल संपत्ति के हस्तांतरण हैं, न कि सेवाओं के, और इसलिए जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।